नियमित अभ्यास क्विज़ (Daily Pre Quiz) - 193

Posted on August 6th, 2019 | Create PDF File

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प्रश्न-1 : भारत की प्राकृतिक वनस्पति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. इस प्रकार की वनस्पति गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में पाई जाती है। 
  2. औसत वार्षिक तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। 
  3. वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक होती है।
  4. रोज़वुड, आबनूस और महोगनी इस वनस्पति में पाई जानी वाली प्रमुख प्रजातियाँ हैं।

उपर्युक्त विशेषताएँ निम्नलिखित में से किन वनों की हैं?  

(a) उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन

(b) उष्णकटिबंधीय अर्द्ध-सदाबहार वन

(c) उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन

(d) उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-2 : भारत में प्राकृतिक वनस्पति से संबंधित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही नहीं है ?

 

(a) साल आर्द्र पर्णपाती वनों में पाया जाता है।

(b) केज़ुएरिना (Casuarina) मुख्यत: तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र में पाया जाता है।

(c) देवदार शंकुधारी वृक्षों की एक प्रजाति है।

(d) शोला वन मुख्यत: हिमालय के ऊपरी भागों में पाए जाते हैं।

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-3 : निम्नलिखित राज्यों पर विचार कीजिये -

  1. अरुणाचल प्रदेश 
  2. हिमाचल प्रदेश
  3. मिज़ोरम

उपर्युक्त में से किस राज्य/किन राज्यों में ‘‘उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन’’ पाए जाते हैं?  

(a) केवल I

(b) केवल II और III

(c) केवल I और III

(d) I, II और III 

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-4 : वर्षा आधारित कृषि के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -

  1. भारत में शुष्क भूमि कृषि मुख्य रूप से उन क्षेत्रों तक सीमित है जहाँ वार्षिक वर्षा 100 सेमी. से कम होती है।
  2. आर्द्र भूमि कृषि सिंचित और वर्षा आधारित दोनों तरह के कृषि क्षेत्रों में की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?

(a) केवल I

(b) केवल II

(c) I और II दोनों

(d) इनमें से कोई नहीं 

 

उत्तर - ()

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न-5 : भारत के निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में मैंग्रोव, सदाबहार और पर्णपाती वनों का सम्मिश्रण पाया जाता है ?

 

(a) उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश

(b) दक्षिण पश्चिम बंगाल

(c) दक्षिणी सौराष्ट्र

(d) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

         

उत्तर - ()

 

 

 

 

उत्तरमाला

 

 

 

 

 

उत्तर-1 : (b)

 

व्याख्या : 

  • उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढलान, पूर्वोत्तर क्षेत्र की पहाड़ियों और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं।
  • ये गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जिनमें सालाना 200 सेमी. से अधिक वर्षा होती है और 22 डिग्री सेल्सियस से अधिक औसत वार्षिक तापमान होता है।
  • उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों में स्तरीकृत वनस्पति हैं, धरातल के निकट घास और छोटी झाड़ियों से लेकर इन वनों में 60 मी. या उससे अधिक ऊँचाई वाले वृक्ष पाए जाते हैं। रोज़वुड, महोगनी और आबनूस आदि यहाँ की प्रमुख प्रजातियाँ हैं। अत: विकल्प (c) सही है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-2 : (b)

 

व्याख्या : 

पानी की उपलब्धता के आधार पर, पर्णपाती वन दो श्रेणियों में विभाजित किये गए हैं:

 

आर्द्र पर्णपाती:

 

  • ये वन उन इलाकों में पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा 200 से 100 सेमी. के बीच होती है।
  • ये वन अधिकांशत: देश के पूर्वी भाग में मिलते हैं, हिमालय की तलहटी के साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों- झारखंड, पश्चिमी ओडिशा तथा छत्तीसगढ़ और पश्चिमी-घाट के पूर्वी ढलानों पर ये वन मिलते हैं।
  • सागौन इनकी सबसे प्रमुख प्रजाति है। अन्य प्रजातियों में बाँस, साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन, और शहतूत शामिल हैं।

शुष्क पर्णपाती:

 

  • ये वन उन इलाकों में पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा 100 से 70 सेमी. के बीच होती है।
  • ये वन प्रायद्वीपीय पठार के बरसाती भागों में और बिहार तथा उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में पाए जाते हैं।
  • इनमें खुले हिस्से होते हैं जिसमें सागौन, साल, पीपल, नीम उगते हैं।

 

केज़ुएरिना (Casuarina)

 

  • भारत में केज़ुएरिना की शुरुआत 19वीं सदी के दौरान हुई थी और अब मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर में इसकी खेती होने का अनुमान है। ईंधन के अलावा, इसकी लकड़ी बड़े पैमाने पर कागज़ के लिये प्रयोग में लाई जाती है और आगे चलकर बायोमास आधारित बिजली उत्पादन के लिये यह एक पसंदीदा विकल्प है।

 

शंकुधारी वन

 

  • शंकुधारी वन उच्च अक्षांशों (50° – 70°) में पाए जाते हैं। इन्हें टैगा नाम से भी जाना जाता है। ये लम्बे, मुलायम लकड़ी वाले सदाबहार वन होते हैं. चीड़, देवदार इन वनों की महत्त्वपूर्ण किस्में हैं।

 

शोला

 

  • पश्चिमी घाट के पर्वतों के ऊपर घास के मैदान फैले हुए हैं और उनके बीच की चोटियाँ प्राचीन, अवरुद्ध उष्णकटिबंधीय वनों से ढकी हुई हैं, जिन्हें स्थानीय लोग शोला कहते हैं। अत: विकल्प (d) सही नहीं है।

 

 

 

 

 

 

उत्तर-3 : (c)

 

व्याख्या : 

  • उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन भारी वर्षा के लिये प्रसिद्ध हैं। ये वन सबसे अधिक उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ सामान्यत: 200 सेमी. से अधिक वर्षा होती है तथा शुष्क ऋतु अत्यंत छोटी होती है।
  • वृक्ष बहुत ऊँचें, 60 मीटर या उससे भी ज़्यादा ऊँचे होते हैं। चूँकि, यह इलाका पूरे साल गर्म और आर्द्र होता है, अत: यहाँ हर तरह की वनस्पति प्रचुर मात्रा में मिलती है- पेड़, झाड़ियाँ और बहुस्तरीय संरचना देने वाली लताएँ।
  • पतझड़ का कोई निश्चित समय नहीं है। यही कारण है कि ये वन पूरे साल हरे-भरे दिखते हैं। इन वनों में व्यावसायिक रूप से आबनूस, महोगनी, रबर और सिंचोनबी प्रमुख हैं।
  • उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन, पश्चिमी घाट (समुद्र तल से 500 से लेकर 1370 मीटर की ऊँचाई तक) के पश्चिमी ओर, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश के पूर्वोतर से दक्षिण पश्चिम तक जाने वाली एक पट्टी, ऊपरी असम, नगालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूहों में पाए जाते हैं।

 

अतः विकल्प (c) सही है।

 

 

 

 

 

उत्तर-4 : (c)

 

व्याख्या : 

 

  • फसलों के लिये आर्द्रता के मुख्य स्रोत के आधार पर, कृषि भूमि को सिंचित और वर्षायुक्त कृषि में वर्गीकृत किया जा सकता है। सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर सिंचित खेती की प्रकृति के भी दो प्रकार हैं- सुरक्षात्मक और उत्पादक।
  • सुरक्षात्मक सिंचाई का उद्देश्य मिट्टी में नमी की कमी के प्रतिकूल प्रभाव से फसलों की रक्षा करना है, जिसका मतलब अक्सर सिंचाई, जल के पूरक स्रोत के रूप में और वर्षा से अधिक होती है। अर्थात् सिंचाई का महत्त्व वर्षा-जल से अधिक है। इस प्रकार की सिंचाई का उद्देश्य अधिकतम संभव क्षेत्र की मिट्टी को नमी प्रदान करना है।
  • उत्पादक सिंचाई से तात्पर्य फसली मौसम में उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिये मिट्टी को पर्याप्त मात्रा में नमी प्रदान करना है। इस तरह की सिंचाई में कृषि भूमि के प्रति इकाई क्षेत्र में पानी का इनपुट सुरक्षात्मक सिंचाई की तुलना में अधिक  होता है।
  • वर्षा आधारित कृषि को फसली मौसम में मिट्टी में नमी की पर्याप्तता के आधार पर शुष्क भूमि कृषि और आर्द्र भूमि कृषि में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • भारत में शुष्क भूमि कृषि मोटे तौर पर 75 सेमी. से कम वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों तक ही सीमित है। इन क्षेत्रों में सहिष्णु किस्म की पैदावार होती है। यहाँ रागी, बाजरा, मूंग, ज्वार आदि सूखा प्रतिरोधी फसलों की पैदावार की जाती है। यहाँ मृदा में नमी संरक्षण और वर्षा जल संचयन के भी विभिन्न तरीके अपनाए जाते हैं।
  • वर्षा ऋतु के दौरान आर्द्र भूमि की मृदा में आवश्यक नमी की अपेक्षा ज़्यादा नमी आ जाती है। ऐसे क्षेत्र बाढ़ और मृदा अपरदन का सामना करते हैं। इन क्षेत्रों में जल गहन फसलें जैसे- जूट, धान, गन्ना आदि पैदा की जाती हैं और ताज़ा जल निकायों में जलीय कृषि की जाती है। अतः कथन 1 और 2 दोनों सही नहीं है।

 

 

 

 

 

 

 

उत्तर-5 : (d)

 

व्याख्या : 

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, वैश्विक रूप से स्वीकृत जैव विविधता के हॉटस्पॉट है। इसकी वनस्पति और जीवों की समृद्धि विभिन्न प्रकार के वनों में प्रदर्शित होती है, जिसमें उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, आर्द्र पर्णपाती वन, तटवर्ती वन, मैंग्रोव वन शामिल हैं।

अतः विकल्प (d) सही है।