सिविल हिन्दी ५ - भाग - 91 (Civil Hindi 5 - Part - 91)
परिक्षोपयोगी कहावतें/लोकोक्तियाँ - भाग - 1 (Part - 1)

Posted on March 10th, 2019 | Create PDF File

hlhiuj

परिक्षोपयोगी कहावतें/लोकोक्तियाँ

भाग - 1 (Part - 1)

 

 

 

(अ) कहावत/लोकोक्ति - अकेला हँसता भला ना रोता भला       

 

      अर्थ - दुःख - सुख में साथी होने चाहिए  

 

     वाक्य प्रयोग - तनहाई जब काटने लगती है तब "अकेला हँसता भला ना रोता भला" चरितार्थ होती है। 

 

 

 

 

(ब) कहावत/लोकोक्ति - अन्धी पीसे कुत्ते खाय          

 

      अर्थ - किसी की कमाई अथवा परिश्रम का लाभ अयोग्य द्वारा उठाया जाना            

 

     वाक्य प्रयोग - देश के करदाताओं का पैसा लेकर कारोबारी विदेश भाग रहे हैं इस पर तो "अन्धी पीसे कुत्ते खाय" ही चरितार्थ होती है। 

 

 

 

(स) कहावत/लोकोक्ति - आटा दाल का भाव मालूम होना        

 

      अर्थ - कठिनाई का अनुभव होना       

 

     वाक्य प्रयोग - दिल्ली में UPSC की तैयारी करते हुए मुझे तो आटे दाल का भाव मालूम हो गया है। 

 

 

 

(द) कहावत/लोकोक्ति - इक नागिन अरु पंख लगायी       

 

      अर्थ - एक दोष के साथ दूसरे का जुड़ जाना       

 

     वाक्य प्रयोग - नंदलाल बुद्धू क़िस्म के अध्यापक हैं और ऊपर से वे कक्षा में पढ़ाने भी नहीं आते,इसे ही कहते हैं "इक नागिन अरु पंख लगायी"। 

 

 

 

 

(य) कहावत/लोकोक्ति - एक तवे की रोटी क्या छोटी, क्या मोटी        

 

      अर्थ - किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है        

 

     वाक्य प्रयोग - सभी देशवासियों को "एक तवे की रोटी क्या छोटी, क्या मोटी" जैसा व्यवहार करना सीखना चाहिए।