* घाना, कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम के तहत कोरोना वायरस टीके का शिपमेंट प्राप्त करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
* कार्यक्रम के तहत पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की लगभग 600,000 खुराक घाना भेजी गई है।
* ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन (जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है) को इसी माह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सीमित उपयोग हेतु आपातकालीन मंज़ूरी दी गई थी।
* कोवैक्स कार्यक्रम के तहत वर्ष 2021 के अंत तक कोरोना वायरस टीकों की 2 बिलियन से अधिक खुराक वितरित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
* कोवैक्स, ‘एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स (Access to COVID-19 Tools- ACT) एक्सेलरेटर’ के तीन स्तंभों में से एक है।
* इसकी शुरुआत कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूरोपीय आयोग और फ्राँस के सहयोग से की गई थी।
* इस कार्यक्रम का उद्देश्य महामारी से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर टीकों का समान वितरण सुनिश्चित करना है।
* घाना, कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम के तहत कोरोना वायरस टीके का शिपमेंट प्राप्त करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
* कार्यक्रम के तहत पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की लगभग 600,000 खुराक घाना भेजी गई है।
* ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन (जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है) को इसी माह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सीमित उपयोग हेतु आपातकालीन मंज़ूरी दी गई थी।
* कोवैक्स कार्यक्रम के तहत वर्ष 2021 के अंत तक कोरोना वायरस टीकों की 2 बिलियन से अधिक खुराक वितरित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
* कोवैक्स, ‘एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स (Access to COVID-19 Tools- ACT) एक्सेलरेटर’ के तीन स्तंभों में से एक है।
* इसकी शुरुआत कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूरोपीय आयोग और फ्राँस के सहयोग से की गई थी।
* इस कार्यक्रम का उद्देश्य महामारी से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर टीकों का समान वितरण सुनिश्चित करना है।