पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समसामयिकी 1(23-Sept-2022)समुद्री शैवाल का शत-प्रतिशत घुलनशील एवं कम लागत वाली पैकेजिंग में रूपांतरण(Conversion of seaweed to 100% soluble and low cost packaging)
Posted on September 25th, 2022 | Create PDF File
‘गूगल’ में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, नेहा जैन ने एक स्टार्टअप ज़ीरोसर्कल (Zerocircle) लॉन्च किया है।
यह स्टार्टअप समुद्री शैवाल (Seaweed) को पैकेजिंग के लिए कम लागत वाले, पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक विकल्पों में परिवर्तित करता है।
समुद्री शैवाल को ‘बायोप्लास्टिक’ बनाने के लिए एक संभाव्य संसाधन माना जाता है क्योंकि इसमें जल और स्थल – दोनों का अंश कम पाया जाता है।
ज़ीरोसर्कल बड़े पैमाने पर लाल, भूरे और हरे समुद्री शैवाल का उपयोग करता है।
समुद्री शैवाल को इकट्ठा करने के बाद, इसे सुखा कर पाउडर में बदल दिया जाता है, जिसे बाद में अंतिम सामग्री में परिवर्तित किया जाता है।
ज़ीरोसर्कल, इससे हैंडबैग, कपड़ों के लिए बैग, खाने को पैक करने के लिए फिल्म और प्लास्टिक के और भी विकल्प बनाता है।
समुद्री शैवाल :
ये समुद्री शैवाल जड़, तना और पत्तियों रहित बिना फूल वाले होते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
समुद्री शैवाल पानी के नीचे जंगलों का निर्माण करते हैं, जिन्हें केल्प फारेस्ट (Kelp Forest) कहा जाता है। ये जंगल मछली, घोंघे आदि के लिये नर्सरी का कार्य करते हैं।
समुद्री शैवाल की अनेक प्रजातियाँ हैं जैसे-गेलिडिएला एकेरोसा,ग्रेसिलिरिया एडुलिस, ग्रेसिलिरिया क्रैसा, ग्रेसिलिरिया वेरुकोसा, सरगस्सुम एसपीपी और टर्बिनारिया एसपीपी आदि।
अवस्थिति :
समुद्री शैवाल ज़्यादातर अंतर-ज्वारीय क्षेत्र (Intertidal Zone) और उथले तथा गहरे समुद्री पानी में पाए जाते हैं, इसके अलावा ये ज्वारनदमुख (Estuary) एवं पश्चजल (Backwater) में भी पाए जाते हैं।
दक्षिण मन्नार की खाड़ी (Gulf of Mannar) में चट्टानी अंतर-ज्वारीय क्षेत्र और निचले अंतर-ज्वारीय क्षेत्रों में कई समुद्री प्रजातियों की समृद्ध आबादी है।
पारिस्थितिक महत्त्व :
जैव संकेतक :
जब कृषि, जलीय कृषि (Aquaculture), उद्योगों और घरों से निकलने वाला कचरा समुद्र में प्रवेश करता है, तो यह पोषक तत्वों के असंतुलन का कारण बनता है, जिससे शैवाल प्रस्फुटन (Algal Bloom) होता है। समुद्री शैवाल अतिरिक्त पोषक तत्त्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं।
आयरन सीक्वेस्टर :
समुद्री शैवाल प्रकाश संश्लेषण के लिये लौह खनिज पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं। जब इस खनिज की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ जाती है तो समुद्री शैवाल इसका अवशोषण करके समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान से बचा लेते हैं। समुद्री शैवालों द्वारा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले अधिकांश भारी धातुओं को अवशोषित कर लिया जाता है।
ऑक्सीजन और पोषक तत्त्वों का पूर्तिकर्त्ता :
समुद्री शैवाल प्रकाश संश्लेषण और समुद्री जल में मौजूद पोषक तत्त्वों के माध्यम से भोजन प्राप्त करते हैं। ये अपने शरीर के हर हिस्से से ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ये अन्य समुद्री जीवों को भी जैविक पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करते हैं।
जलवायु परिवर्तन के शमन में भूमिका :
समुद्री शैवालों की भूमिका जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्त्वपूर्ण होती है। कुल समुद्र के सिर्फ 9% हिस्से में मौजूद शैवाल से प्रतिवर्ष लगभग 53 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण किया जा सकता है। इसलिये समुद्री शैवाल की खेती कार्बन के अवशोषण के लिये 'समुद्री वनीकरण' के रूप में की जा सकती है।
अन्य उपयोगिताएँ :
इनका उपयोग उर्वरकों के रूप में और जलीय कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये किया जा सकता है।
समुद्री शैवाल को मवेशियों को खिलाकर इनसे होने वाले मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
इन्हें तटबंधों के रूप में समुद्र तट के कटाव को रोकने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।
इनका उपयोग टूथपेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन, पेंट आदि तैयार करने में एक घटक के रूप में किया जाता है।
हाल ही में प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान और मूल्यांकन परिषद (TIFAC) ने दो नई प्रौद्योगिकी पहलों- सक्षम (Saksham) नाम से एक जॉब पोर्टल तथा समुद्री शैवाल की व्यावसायिक खेती एवं इसके प्रसंस्करण के लिये समुद्री शैवाल मिशन (Seaweed Mission) का शुभारंभ किया है।