अर्थव्यवस्था समसामयिकी 1 (21-Apr-2021)
कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
(Consumer price index for agricultural and rural workers)

Posted on April 21st, 2021 | Create PDF File

hlhiuj

हाल ही में भारत सरकार ने कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों के लिए मार्च, 2021 का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) जारी किया है।

 

मार्च, 2021 का कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (आधार वर्ष 1986-87) जारी किया गया है।

 

इसमें बताया गया है कि मार्च, 2021 में कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 2 एवं 1 अंक घट कर क्रमशः 1035 अंकों तथा 1043 अंकों के स्तर पर रहे हैं ।

 

सूचकांक में इस कमी का प्रमुख कारण खाद्य समूह में गिरावट रही है। यह कमी मुख्यतः ज्वार, प्याज, हरी मिर्च, लहसुन व अन्य सब्जियां तथा फल इत्यादि की कीमतों में गिरावट के कारण रही है। सीपीआई-एएल(कृषि मज़दूर के लिये सीपीआई) और सीपीआई-आरएल (ग्रामीण मज़दूर के लिये सीपीआई) के खाद्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर क्रमशः (+)1.66% और (+) 1.86% हो गई जो फरवरी 2021 में क्रमश: 1.55% और 1.85 फीसदी थी।

 

वहीं सीपीआई- एएल और सीपीआई- आरएल के आधार पर मुद्रास्फीति की कुल दर मार्च 2021 में क्रमशः 2.78 फीसदी और 2.96 फीसदी हो गई जो फरवरी 2021 में क्रमश: 2.67 फीसदी और 2.76 फीसदी रही थी।

 

कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के मामले में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्या में अधिकतम कमी तमिलनाडु राज्य (क्रमश: -9 अंक और -8 अंक) में दर्ज की गई है।

 

जबकि कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के मामले में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्या में अधिकम वृद्धि त्रिपुरा राज्य (+8 अंक और +7 अंक) में दर्ज की गई है।

 

मुद्रास्फीति (Inflation) :

मुद्रास्फीति का अभिप्राय, दैनिक जीवन में लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं (यथा- भोजन, कपड़े, आवास, मनोरंजन और परिवहन इत्यादि) की कीमतों में होने वाली वृद्धि से होता है।

 

भारत में मुद्रास्फीति को मुख्य रूप से दो मुख्य सूचकांकों द्वारा मापा जाता है - थोक मूल्य सूचकांक(Wholesale Price Index-WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(Consumer Price Index-CPI)।

 

क्या होता है थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) ?

थोक स्तर पर सामानों की कीमतों का आकलन करने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल थोक मूल्य सूचकांक भारत में व्यापारियों द्वारा थोक(Wholesale) में बेचे गए सामानों की कीमतों में बदलाव को मापता है।

 

इसमें मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों को सबसे ज़्यादा भार (weightage) दिया जाता है। इसे भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार कार्यालय (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय) द्वारा जारी किया जाता है।

 

थोक मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2011-12 है।

 

क्या होता है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index)?

ख़ुदरा स्तर पर महँगाई मापने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(Consumer Price Index-CPI) का इस्तेमाल किया जाता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का जुड़ाव सीधे तौर पर उपभोक्ताओं से होता है।

 

वर्तमान में भारत में पांच उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) हैं, जिनमें से प्रमुख चार निम्नलिखित हैं -

  1. औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers-IW) के लिये सीपीआई अर्थात औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [Consumer Price Index: Industrial Workers (CPI:IW)]
  2. कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer-AL) के लिये सीपीआई
  3. ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer-RL) के लिये सीपीआई
  4. सीपीआई (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)

 

उपर्युक्त में से प्रथम तीन को श्रम और रोज़गार मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय ‘श्रम ब्यूरो’ द्वारा संकलित एवं जारी किया जाता है। जबकि चौथे प्रकार की सीपीआई को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा संकलित एवं जारी किया जाता है।

 

औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 2016 है।

 

कृषि एवं ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का आधार वर्ष 1986-87 है।