अर्थव्यवस्था समसामियिकी 1 (5-Dec-2019)
महंगाई की चिंता बढ़ी, रिजर्व बैंक ने रेपो दर में नहीं किया बदलाव, आर्थिक वृद्धि अनुमान घटाया (Concern for inflation increased, Reserve Bank did not change repo rate, economic growth estimate was lowered)

Posted on December 5th, 2019 | Create PDF File

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उद्योग एवं पूंजी बाजार की उम्मीदों को झटका देते हुये रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में अपनी नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया। आर्थिक वृद्धि की गति सुस्त पड़ने के बावजूद केंद्रीय बैंक ने महंगाई बढ़ने की चिंता में रेपो दर को 5.15 प्रतिशत के पूर्व स्तर पर बरकरार रखा। इससे पहले लगातार पांच बार रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कटौती की।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने एक मत से रेपो दर को 5.15 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर को 4.90 प्रतिशत पर बनाये रखने के पक्ष में सहमति दी। मौद्रिक समीक्षा के लिये एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक मंगलवार को शुरू हुई थी।

रेपो दर वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी त्वरित नकदी जरूरतों के लिये केंद्रीय बैंक से नकदी प्राप्त करते हैं जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत केंद्रीय बैंक, प्रणाली में अतिरिक्त नकदी को नियंत्रित करने के लिये वाणिज्यिक बैंकों से नकदी उठाता है।

अर्थशास्त्रियों और बैंकों के साथ-साथ उद्योग जगत एवं निवेशकों को उम्मीद थी की सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को थामने के लिये रिजर्व बैंक रेपो दर में लगातार छठी बार कटौती कर सकता है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के निम्न स्तर 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। एक साल पहले इसी तिमाही में यह वृद्धि 7 प्रतिशत रही थी।

आर्थिक वृद्धि में गिरावट के विपरीत अक्टूबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह पिछले 16 माह में सबसे ऊंची दर रही है। मुद्रास्फीति की यह दर रिजर्व बैंक के अनुमान से काफी ऊंची रही है।

हालांकि, मौर्दिक समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिये जब तक जरूरी समझा जायेगा रिजर्व बैंक अपना रुख उदार बनाये रखेगा। केंद्रीय बैंक ने 2019-20 के लिये आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को पहले के 6.1 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया। इस साल की शुरुआत से ही केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि के अनुमान को लगातार कम करता रहा है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल में पेश मौद्रिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा गया था।

मौद्रिक नीति समीक्षा में हालांकि कहा गया है, ‘‘एमपीसी मानती है कि भविष्य की समीक्षाओं में नीतिगत बदलाव के लिये कदम उठाने की गुंजाइश बनी हुई है। बहरहाल, वृद्धि और मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति को देखते हुये समिति समझती है कि इस समय रुकना ठीक रहेगा।’’

दास ने कहा, ब्याज दरों में कटौती के मामले में यह अस्थायी विराम है। एमपीसी इस मामले में फरवरी में बेहतर ढंग से निर्णय ले सकेगी। उस समय तक और आंकड़े सामने होंगे और सरकार भी 2020-21 का बजट पेश कर चुकी होगी।

दास ने कहा कि ब्याज दरों में लगातार कटौती करते रहने के बजाय समय अधिक महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा, ‘‘1.35 प्रतिशत की कटौती का पूरा असर आने दीजिये।’’

उन्होंने कहा कि इस समय जरूरत इस बात की है कि जो अड़चनें आ रही हैं उन्हें दूर करने के उपाय किये जायें, जिसकी वजह से निवेश रुका हुआ है।

रिजर्व बैंक ने कहा कि अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति का 4.6 प्रतिशत का आंकड़ा उसकी उम्मीद से काफी ऊंचा रहा है। यही वजह है कि बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही का मुद्रास्फीति का अपना अनुमान बढ़ाकर 5.1 - 4.7 प्रतिशत के बीच कर दिया। इससे पहले यह 3.5- 3.7 प्रतिशत रखा गया था।