आधिकारिक बुलेटिन - 3 (26-June-2020)
कोकोलिथोफोरस (Coccolithophores)

Posted on June 26th, 2020 | Create PDF File

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हाल ही में ‘राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र’ (National Centre for Polar and Ocean Research- NCPOR) ने प्राचीन सूक्ष्म समुद्री शैवाल ‘कोकोलिथोफोरस’ (Coccolithophores) का अध्ययन करने पर पाया कि दक्षिणी हिंद महासागर में कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) की सांद्रता में कमी आई है।

 

 

कोकोलिथोफोरस (Coccolithophores), विश्व के महासागरों की ऊपरी परतों में निवास करने वाला एकल-कोशिकीय शैवाल है।ये समुद्री फाइटोप्लैंकटन (Marine Phytoplankton) को चूने में परिवर्तित करते हैं जो खुले महासागरों में 40% तक कैल्शियम कार्बोनेट का उत्पादन करते हैं और वैश्विक निवल समुद्री प्राथमिक उत्पादकता (Global Net Marine Primary Productivity) के 20% के लिये ज़िम्मेदार हैं।ये अलग-अलग चाक (Chalk) एवं सी-शेल (Seashell) वाली कैल्शियम कार्बोनेट की प्लेटों से एक्सोस्कल्टन (Exoskeleton) बनाते हैं।हालाँकि इन प्लेटों के निर्माण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन होता है किंतु कोकोलिथोफोरस प्रकाश संश्लेषण के दौरान इसका अवशोषण करके वातावरण एवं महासागर से इसे हटाने में मदद करते हैं।संतुलन की अवस्था में ये उत्पादन करने की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करते हैं जो महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिये लाभदायक है।दक्षिणी हिंद महासागर में कोकोलिथोफोरस की प्रचुरता एवं विविधता समय पर निर्भर है और यह विभिन्न पर्यावरणीय कारकों जैसे- सिलिकेट की सांद्रता, कैल्शियम कार्बोनेट की सांद्रता, डायटम (Diatom) की प्रचुरता, प्रकाश की तीव्रता और सूक्ष्म एवं संभवतः सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की उपलब्धता एवं सांद्रता (समुद्री प्रदूषण) से प्रभावित है।

 

डायटम एकल-कोशिकीय शैवाल हैं जो जलवायु परिवर्तन एवं समुद्री अम्लीकरण के साथ समुद्री बर्फ के टूटने के बाद उत्पन्न होते हैं।डायटम जल में सिलिकेट की सांद्रता को बढ़ाता है और बदले में कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा को कम कर देता है तथा कोकोलिथोफोरस की विविधता को घटा देता है।विश्व महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र के संभावित महत्त्व के साथ यह कोकोलिथोफोरस की वृद्धि एवं उसकी कंकाल संरचना (Skeleton Structure) को प्रभावित करेगा।इस प्रकार यह अध्ययन इंगित करता है कि परिवर्तित कोकोलिथोफोरे कैल्सीफिकेशन दर (The Altered Coccolithophore Calcification Rate) का एक प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem) और वैश्विक कार्बन प्रवाह में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

 

समुद्री प्रदूषण:


समुद्री प्रदूषण वह प्रदूषण है जिसमें रासायनिक कण, औद्योगिक, कृषि एवं घरेलू कचरा तथा मृत जीव महासागर में प्रवेश करके समुद्र में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं।समुद्री प्रदूषण के स्रोत अधिकांशतः धरातलीय हैं। सामान्यतः यह प्रदूषण कृषि अपवाह या वायु प्रवाह से पैदा हुए अपशिष्ट स्रोतों के कारण होता है।

 

 

राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र
(National Centre for Polar and Ocean Research- NCPOR):


‘राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र’ (NCPOR) का गठन एक स्वायत्तशासी अनुसंधान एवं विकास संस्थान के रूप में किया गया था। यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) के अंतर्गत कार्य करता है।यह ध्रुवीय एवं दक्षिणी महासागरीय क्षेत्र में देश की अनुसंधान गतिविधियों के लिये ज़िम्मेदार संस्थान है। यह केंद्र गोवा में स्थित है। इसको अंटार्कटिका में भारत के स्थायी स्टेशन (मैत्री एवं भारती) के रखरखाव सहित भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के समन्वय एवं कार्यान्वयन के लिये नोडल संगठन के रूप में नामित किया गया है।