अंतर्राष्ट्रीय समसामयिकी 2 (10-September-2021)^सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड^(Center of Excellence on Offshore Wind)
Posted on September 10th, 2021
भारत और डेनमार्क ने हाल ही में दोनों देशों के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड' का शुभारंभ किया है।
यह कदम इस लिहाज़ से काफी महत्त्वपूर्ण है कि ‘नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ ने वर्ष 2030 तक अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से 30 गीगावाट (GW) क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
भारत अपनी 7,600 किलोमीटर की तटरेखा के साथ विशाल पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग करके अपतटीय ऊर्जा शुल्कों को कम करने हेतु योजना बना रहा है।
यह केंद्र प्रारंभ में चार कार्य समूहों 1) स्थानिक योजना; 2) वित्तीय फ्रेमवर्क की शर्तें; 3) आपूर्ति शृंखला अवसंरचना और 4) मानक एवं परीक्षण पर केंद्रित होगा।
प्रारंभिक चरणों में यह ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केवल अपतटीय पवन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगा, किंतु समय के साथ इसके कार्यक्षेत्र में भी विस्तार किया जाएगा।
हरित ऊर्जा हेतु यह प्रयास ऐसे समय में किया जा रहा है, जब जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल ने कहा कि चरम मौसम की घटनाएँ भारत और दक्षिण एशिया में जीवन, आजीविका एवं व्यवसायों को काफी अधिक प्रभावित करेंगी।
ज्ञात हो कि भारत एकमात्र G20 देश है, जिसके द्वारा की जा रही कार्रवाई तापमान में वैश्विक वृद्धि के संबंध में पेरिस जलवायु समझौते के अनुरूप है।
अंतर्राष्ट्रीय समसामयिकी 2 (10-September-2021)सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड(Center of Excellence on Offshore Wind)
भारत और डेनमार्क ने हाल ही में दोनों देशों के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन ऑफशोर विंड' का शुभारंभ किया है।
यह कदम इस लिहाज़ से काफी महत्त्वपूर्ण है कि ‘नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ ने वर्ष 2030 तक अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से 30 गीगावाट (GW) क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
भारत अपनी 7,600 किलोमीटर की तटरेखा के साथ विशाल पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग करके अपतटीय ऊर्जा शुल्कों को कम करने हेतु योजना बना रहा है।
यह केंद्र प्रारंभ में चार कार्य समूहों 1) स्थानिक योजना; 2) वित्तीय फ्रेमवर्क की शर्तें; 3) आपूर्ति शृंखला अवसंरचना और 4) मानक एवं परीक्षण पर केंद्रित होगा।
प्रारंभिक चरणों में यह ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ केवल अपतटीय पवन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेगा, किंतु समय के साथ इसके कार्यक्षेत्र में भी विस्तार किया जाएगा।
हरित ऊर्जा हेतु यह प्रयास ऐसे समय में किया जा रहा है, जब जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल ने कहा कि चरम मौसम की घटनाएँ भारत और दक्षिण एशिया में जीवन, आजीविका एवं व्यवसायों को काफी अधिक प्रभावित करेंगी।
ज्ञात हो कि भारत एकमात्र G20 देश है, जिसके द्वारा की जा रही कार्रवाई तापमान में वैश्विक वृद्धि के संबंध में पेरिस जलवायु समझौते के अनुरूप है।