राजव्यवस्था समसामियिकी 2 (21-Sept-2020)
सिंगल मदर्स के बच्चों के लिये जाति प्रमाणपत्र
(Caste certificate for children of single mothers)

Posted on September 21st, 2020 | Create PDF File

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अपने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति की सिंगल मदर्स (Single Mothers) के बच्चों, जिनके पिता ऊँची जाति के हैं, को तब तक जाति प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा जब तक यह स्थापित न हो जाए कि उन्हें विशिष्ट समुदाय के कारण अभाव, अपमान और बाधाओं का सामना करना पड़ा हो।

 

 


सर्वप्रथम अनुसूचित जाति की एक महिला ने न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपने बच्चों के लिये प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की थी।दरअसल वह महिला असम की एक वरिष्ठ रैंकिंग की वायु सेना अधिकारी हैं, जिसने वायु सेना के ही अपने एक सहयोगी से विवाह किया था।वर्ष 2009 में उनके तलाक के बाद उनके दो बच्चे अपनी माँ के साथ रह रहे थे, उस महिला के मुताबिक उनके बच्चे अपने पिता के साथ कभी बड़े नहीं हुए हैं और इसलिये वे अपने पिता के समुदाय का हिस्सा नहीं हैं।

 



महिला ने तर्क दिया है यदि कोई पिता अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित है और अकेले बच्चों की परवरिश कर रहा है, तो उसके बच्चों को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिये सक्षम माना जाता है।वहीं दूसरी ओर यदि कोई महिला अनुसूचित जाति से संबंधित है और अकेले बच्चों की परवरिश कर रही है, तो उसके बच्चों को जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है। इस प्रकार ऐसी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

 

 

न्यायालय का निर्णय-


दो अलग-अलग जातियों और समुदायों के बीच अंतर-जातीय विवाह में आने वाले वंश की जाति का निर्धारण प्रत्येक मामले में शामिल तथ्यों के आधार पर तय किया चाहिये।यहाँ यह तथ्य सिद्ध करना आवश्यक होगा कि पिता से अलग-अलग होने के कारण क्या बच्चों को किसी भी प्रकार से भेदभाव, अपमान अथवा बाधाओं का सामना करना पड़ा है अथवा नहीं।


न्यायालय ने रेखांकित किया है कि माता-पिता के अलग होने के बाद भी होने के बाद भी बच्चे अपने पिता का उपनाम प्रयोग कर रहे हैं, जो कि दर्शाता है कि बच्चे अभी भी अपने पिता के समुदाय से जुड़े हुए हैं।न्यायलय ने स्पष्ट किया कि यदि वायु सेना में कार्यरत वरिष्ठ महिला अधिकारी के बच्चों को जाति प्रमाणपत्र जारी किया जाता है तो इससे उच्च शिक्षा और सार्वजनिक सेवा में आरक्षित अनुसूचित जाति की सीटों की सीमित संख्या के लिये पात्रता का दावा करने के लिये योग्य लोगों इससे वंचित हो जाएंगे।