राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (24-Aug-2020)^'भारतीय मानक ब्यूरो के ‘पेयजल आपूर्ति’ मानक (BIS draft standard for drinking water supply)
Posted on August 24th, 2020
भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards– BIS) द्वारा ‘पाइप के माध्यम से पेयजल आपूर्ति प्रणाली के लिए मानक’ मसौदा तैयार किया गया है। इसका शीर्षक है: ‘पेयजल आपूर्ति गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली – पाइप द्वारा पेयजल आपूर्ति सेवा के लिए आवश्यकताएं’।इस मसौदे को बीआईएस की सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति सेवा अनुभागीय समिति द्वारा तैयार किया गया है।
इसमें अपरिष्कृत जल स्रोतों से परिवारों के नलों तक जल आपूर्ति प्रक्रिया हेतु रूपरेखा तैयार की गयी है।इसमें, जल आपूर्तिकर्ता तथा जल उपयोज्यता के लिए पाइप पेयजल आपूर्ति सेवा के निर्माण, संचालन, रखरखाव और सुधार हेतु आवश्यकताओं को दर्शाया गया है।इसमें कहा गया है कि, जल परिष्करण प्रक्रिया की योजना इस प्रकार से निर्मित की जाए कि परिष्करण के बाद पीने का पानी बीआईएस द्वारा विकसित भारतीय मानक (आईएस) 10500 के अनुरूप होना चाहिए।इसमें, जल उपयोज्यता के शीर्ष प्रबंधन हेतु, जवाबदेही तथा उपभोक्ता हितों के संदर्भ में, उनकी सेवा गुणवत्ता नीति बनाने, आपूर्ति किये जाने वाले पानी की गुणवत्ता निगरानी करने तथा जल ऑडिट कराने संबधी, दिशा निर्देश सम्मिलित किये गए है।इसमें कहा गया है कि जहां भी संभव हो, जिला पैमाइश क्षेत्र (district metering area– DMA) की अवधारणा को अपनाया जाना चाहिए। DMA जल नेटवर्क में रिसाव को नियंत्रित करने हेतु एक अवधारणा होती है। जिसमे जल आपूर्ति क्षेत्र को अनिवार्य रूप से कई क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, जिसे DMA कहा जाता है। इन क्षेत्रों में रिसाव पता लगाने के लिए बहाव मीटर लगाये किए जाते हैं।इसमें, गुणवत्ता मानकों की जांच के लिए प्रत्येक चार घंटे में जल-शोधन संयंत्र में पानी का नमूना लिया जाने का उल्लेख किया गया है। वितरण प्रणाली में, पानी के जलाशयों में प्रति आठ घंटे में पानी का नमूना लिया जाना चाहिए।
भारतीय मानक ब्यूरो के ‘पेयजल आपूर्ति’ मानक, पाइप जलापूर्ति की प्रक्रिया को एक समान बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, जहाँ जल आपूर्ति तंत्र विभिन्न सरकारी आदेशों तथा परिपत्रों द्वारा नियमित होता है, सुनिश्चित ‘पेयजल आपूर्ति’ करने के लिए यह मानक अति महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय समसामियिकी 2 (24-Aug-2020)'भारतीय मानक ब्यूरो के ‘पेयजल आपूर्ति’ मानक (BIS draft standard for drinking water supply)
भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards– BIS) द्वारा ‘पाइप के माध्यम से पेयजल आपूर्ति प्रणाली के लिए मानक’ मसौदा तैयार किया गया है। इसका शीर्षक है: ‘पेयजल आपूर्ति गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली – पाइप द्वारा पेयजल आपूर्ति सेवा के लिए आवश्यकताएं’।इस मसौदे को बीआईएस की सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति सेवा अनुभागीय समिति द्वारा तैयार किया गया है।
इसमें अपरिष्कृत जल स्रोतों से परिवारों के नलों तक जल आपूर्ति प्रक्रिया हेतु रूपरेखा तैयार की गयी है।इसमें, जल आपूर्तिकर्ता तथा जल उपयोज्यता के लिए पाइप पेयजल आपूर्ति सेवा के निर्माण, संचालन, रखरखाव और सुधार हेतु आवश्यकताओं को दर्शाया गया है।इसमें कहा गया है कि, जल परिष्करण प्रक्रिया की योजना इस प्रकार से निर्मित की जाए कि परिष्करण के बाद पीने का पानी बीआईएस द्वारा विकसित भारतीय मानक (आईएस) 10500 के अनुरूप होना चाहिए।इसमें, जल उपयोज्यता के शीर्ष प्रबंधन हेतु, जवाबदेही तथा उपभोक्ता हितों के संदर्भ में, उनकी सेवा गुणवत्ता नीति बनाने, आपूर्ति किये जाने वाले पानी की गुणवत्ता निगरानी करने तथा जल ऑडिट कराने संबधी, दिशा निर्देश सम्मिलित किये गए है।इसमें कहा गया है कि जहां भी संभव हो, जिला पैमाइश क्षेत्र (district metering area– DMA) की अवधारणा को अपनाया जाना चाहिए। DMA जल नेटवर्क में रिसाव को नियंत्रित करने हेतु एक अवधारणा होती है। जिसमे जल आपूर्ति क्षेत्र को अनिवार्य रूप से कई क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, जिसे DMA कहा जाता है। इन क्षेत्रों में रिसाव पता लगाने के लिए बहाव मीटर लगाये किए जाते हैं।इसमें, गुणवत्ता मानकों की जांच के लिए प्रत्येक चार घंटे में जल-शोधन संयंत्र में पानी का नमूना लिया जाने का उल्लेख किया गया है। वितरण प्रणाली में, पानी के जलाशयों में प्रति आठ घंटे में पानी का नमूना लिया जाना चाहिए।
भारतीय मानक ब्यूरो के ‘पेयजल आपूर्ति’ मानक, पाइप जलापूर्ति की प्रक्रिया को एक समान बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, जहाँ जल आपूर्ति तंत्र विभिन्न सरकारी आदेशों तथा परिपत्रों द्वारा नियमित होता है, सुनिश्चित ‘पेयजल आपूर्ति’ करने के लिए यह मानक अति महत्वपूर्ण है।