व्यक्ति विशेष समसामयिकी 1 (2-May-2021)
‘सत्यजीत रे’ की जन्म शताब्दी
(Birth Centenary of ‘Satyajit Ray’)

Posted on May 2nd, 2021 | Create PDF File

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हाल ही में भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि वह महान फिल्म निर्माता ‘सत्यजीत रे’(Satyajit Ray) की जन्म शताब्दी मनाएगा।

 

महान फिल्म निर्माता ‘सत्यजीत रे’ को श्रद्धांजलि देने के लिए, भारत सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय देश-विदेश में वर्ष भर चलने वाला शताब्दी समारोह आयोजित करेगा।

 

इसके अतिरिक्त भारत सरकार का फिल्म समारोह निदेशालय, फिल्म प्रभाग और विदेश मंत्रालय भारत में और विदेश स्थित भारतीय मिशनों के माध्यम से सत्यजीत रे फिल्म समारोहों का आयोजन करेंगे। इनमें सत्यजीत रे की फिल्मों और उन पर बनी फिल्मों एवं वृत्तचित्रों को दिखाया जाएगा।

 

इन कार्यकलापों की निगरानी के लिए भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा एक कार्यान्वयन समिति का गठन भी किया गया है।

 

‘सत्यजीत रे’ (Satyajit Ray)

भारतीय सिनेमा के विकास और संवर्धन के लिए कई लोगों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन जब भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहुंचाने की बात हो तो वहां पर सत्यजीत रे का नाम सबसे पहले आता है। आज भी उनकी अमिट छाप भारतीय सिनेमा पर स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

 

भारतीय सिनेमा के इस कालजयी महापुरुष का जन्म 2 मई, 1921 को हुआ था।

 

सत्यजीत रे का जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए एक आदर्श और प्रेरणा का स्रोत है।

 

सत्यजीत रे एक प्रख्यात फिल्म निर्माता, लेखक, चित्रकार, ग्राफिक डिजाइनर एवं संगीतकार थे।

 

उनकी पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ थी। इस फिल्म ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई थी।

 

सत्यजीत रे ने इसके बाद चारुलता, आगंतुक और नायक जैसी अन्य बेहतरीन फिल्में बनाईं थीं।

 

भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1992 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया था।

 

इस महान शख्सियत की विरासत को ध्यान में रखते हुए ‘सिनेमा में उत्कृष्टता के लिए सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ की शुरुआत इस साल से की गई है जिसे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में हर साल दिया जाएगा और इसकी शुरुआत इसी वर्ष से होगी। पुरस्कार में 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रमाण पत्र, शॉल, एक रजत मयूर पदक और एक स्क्रॉल शामिल हैं।

 

सत्यजीत रे के करियर की अंतिम फिल्म 1991 में बनी आंगतुक फिल्म थी।

 

सिनेमा में अपने बेजोड़ निर्देशन और अतुलनीय योगदान के कारण उन्हें बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में विश्व के तीन सर्वकालिक निर्देशकों में शामिल किया गया था।

 

सत्यजीत रे को प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार का ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट भी प्राप्त हुआ है।

 

भारतीय सिनेमा में ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले एवं भारतीय सिनेमा को नई दिशा देने वाले इस महापुरुष का निधन 23 अप्रैल, 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से हो गया था।