भारतीय संविधान का अनुच्छेद - 3

Posted on March 27th, 2022 | Create PDF File

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भाग- 1

अनुच्छेद-3. नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संसद्, विधि द्वारा -

(क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक  राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी  राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी:

(ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी:

(ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी:

(घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी :

(ड) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी:

1 [परंतु इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना और जहां विधेयक में अंतर्विष्ट प्रस्थापना का प्रभाव 2***राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं  या नाम पर पड़ता है वहां जब तक उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा उस पर अपने  विचार, ऐसी अवधि के भीतर जो निर्देश में विनिर्दिष्ट की जाए या ऐसी अतिरिक्त अवधि  के भीतर जो राष्ट्रपति द्वारा अनुज्ञात की जाए, प्रकट किए जाने के लिए वह विधेयक  राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्देशित नहीं कर दिया गया है और इस प्रकार विनिर्दिष्ट या अनुज्ञात  अवधि समाप्त नहीं हो गई है, संसद् के किसी सदन में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा।]

3[अस्पष्टीकरण 1 - इस अनुच्छेद के खंड (क) से खंड (ङ) में, “राज्य” के अंतर्गत संघ  राज्यक्षेत्र है, किंतु परंतुक में “राज्य' के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र नहीं है।

स्पष्टीकरण 2 - खंड (क) द्वारा संसद् को प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के किसी भाग को किसी अन्य राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के साथ मिलाकर नए राज्य या संघ राज्यक्षेत्र का निर्माण करना है।]

 

  1. संविधान (पांचवां संशोधन) अधिनियम, 1955 की धारा 2 द्वारा परंतुक के स्थान पर (24-12-1955 से) प्रतिस्थापित ।
  2. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा “पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट" शब्दों और अक्षरों का (1-11-1956 से) लोप किया गया।
  3. संविधान (अठारहवां संशोधन) अधिनियम, 1966 की धारा 2 द्वारा (27-8-1966 से) अंतःस्थापित।