दिवस विशेष समसामयिकी 1(26-Sept-2022)^अंत्योदय दिवस 2022^(Antyodaya Day 2022)
Posted on September 26th, 2022
भारत में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती को चिह्नित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) के रूप में मनाया जाता है।
अंत्योदय का अर्थ "गरीब से गरीब व्यक्ति का उत्थान" या "अंतिम व्यक्ति का उत्थान" (uplifting the poorest of the poor” or “rise of the last person)" है।
यह दिन भारत सरकार द्वारा 25 सितंबर, 2014 को घोषित किया गया था और आधिकारिक तौर पर वर्ष 2015 से मनाया जा रहा है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को मथुरा ज़िले के नगला चन्द्रभान ग्राम में हुआ था।
इनके द्वारा प्रस्तुत दर्शन को ‘एकात्म मानववाद’ कहा जाता है जिसका उद्देश्य एक ऐसा ‘स्वदेशी सामाजिक-आर्थिक मॉडल’ प्रस्तुत करना था जिसमें विकास के केंद्र में मानव हो।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने पश्चिमी ‘पूंजीवादी व्यक्तिवाद’ एवं ‘मार्क्सवादी समाजवाद’ दोनों का विरोध किया, लेकिन आधुनिक तकनीक तथा पश्चिमी विज्ञान का स्वागत किया।
एकात्म मानववाद का उद्देश्य व्यक्ति एवं समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करना है।
यह प्राकृतिक संसाधनों के संधारणीय उपभोग का समर्थन करता है जिससे कि उन संसाधनों की पुनः पूर्ति की जा सके।
दिवस विशेष समसामयिकी 1(26-Sept-2022)अंत्योदय दिवस 2022(Antyodaya Day 2022)
भारत में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती को चिह्नित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 25 सितंबर को अंत्योदय दिवस (Antyodaya Diwas) के रूप में मनाया जाता है।
अंत्योदय का अर्थ "गरीब से गरीब व्यक्ति का उत्थान" या "अंतिम व्यक्ति का उत्थान" (uplifting the poorest of the poor” or “rise of the last person)" है।
यह दिन भारत सरकार द्वारा 25 सितंबर, 2014 को घोषित किया गया था और आधिकारिक तौर पर वर्ष 2015 से मनाया जा रहा है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को मथुरा ज़िले के नगला चन्द्रभान ग्राम में हुआ था।
इनके द्वारा प्रस्तुत दर्शन को ‘एकात्म मानववाद’ कहा जाता है जिसका उद्देश्य एक ऐसा ‘स्वदेशी सामाजिक-आर्थिक मॉडल’ प्रस्तुत करना था जिसमें विकास के केंद्र में मानव हो।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने पश्चिमी ‘पूंजीवादी व्यक्तिवाद’ एवं ‘मार्क्सवादी समाजवाद’ दोनों का विरोध किया, लेकिन आधुनिक तकनीक तथा पश्चिमी विज्ञान का स्वागत किया।
एकात्म मानववाद का उद्देश्य व्यक्ति एवं समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करना है।
यह प्राकृतिक संसाधनों के संधारणीय उपभोग का समर्थन करता है जिससे कि उन संसाधनों की पुनः पूर्ति की जा सके।