राज्य समसामयिकी 1 (7-October-2021)^आंध्र प्रदेश का 'स्वच्छा' कार्यक्रम^(Andhra Pradesh's 'Swachh' program)
Posted on October 7th, 2021
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी जल्द ही राज्य में महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने हेतु 'स्वच्छा' कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे।
इस पहल के तहत राज्य सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों में मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जाएंगे।
राज्य भर के सभी सरकारी स्कूलों और इंटरमीडिएट कॉलेजों में 7वीं-12वीं तक की कक्षा में पढ़ने वाली लगभग 10 लाख किशोरियों को प्रतिमाह दस सैनिटरी नैपकिन प्रदान किये जाएंगे।
इसके अतिरिक्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सभी ‘वाईएसआर चेयुथा स्टोर्स’ में सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण नैपकिन उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके अलावा इस कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार यूनिसेफ, ‘वाश’ (WASH) और ‘पीएंडजी’ (P&G) जैसे संगठनों के साथ साझेदारी में मासिक धर्म और स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के महत्त्व पर विशेष जागरूकता कक्षाएँ भी आयोजित करेगी।
ध्यातव्य है कि विभिन्न अध्ययनों और रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत में लगभग 23 प्रतिशत छात्राओं की सैनिटरी नैपकिन तक पहुँच नहीं है, जबकि स्कूलों एवं कॉलेजों में उचित सुविधाओं और बुनियादी अवसंरचनाओं की कमी भी इस संबंध में एक बड़ी चुनौती हैं।
राज्य समसामयिकी 1 (7-October-2021)आंध्र प्रदेश का 'स्वच्छा' कार्यक्रम(Andhra Pradesh's 'Swachh' program)
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी जल्द ही राज्य में महिलाओं एवं किशोरियों के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने हेतु 'स्वच्छा' कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे।
इस पहल के तहत राज्य सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों में मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए जाएंगे।
राज्य भर के सभी सरकारी स्कूलों और इंटरमीडिएट कॉलेजों में 7वीं-12वीं तक की कक्षा में पढ़ने वाली लगभग 10 लाख किशोरियों को प्रतिमाह दस सैनिटरी नैपकिन प्रदान किये जाएंगे।
इसके अतिरिक्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सभी ‘वाईएसआर चेयुथा स्टोर्स’ में सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण नैपकिन उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके अलावा इस कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार यूनिसेफ, ‘वाश’ (WASH) और ‘पीएंडजी’ (P&G) जैसे संगठनों के साथ साझेदारी में मासिक धर्म और स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के महत्त्व पर विशेष जागरूकता कक्षाएँ भी आयोजित करेगी।
ध्यातव्य है कि विभिन्न अध्ययनों और रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत में लगभग 23 प्रतिशत छात्राओं की सैनिटरी नैपकिन तक पहुँच नहीं है, जबकि स्कूलों एवं कॉलेजों में उचित सुविधाओं और बुनियादी अवसंरचनाओं की कमी भी इस संबंध में एक बड़ी चुनौती हैं।