दुनिया का पहला पूर्ण जैविक कृषि करने वाला राज्य- सिक्किम (World's first Complete organic farming state - Sikkim)

Posted on October 23rd, 2018 | Create PDF File

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अनाज हमारी मूलभूत जरूरतों मे से एक है। बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ अन्न की पूर्ति के लिए ही 1960 के दशक में भारत में हरित क्रांति लाई गई थी और अधिक से अधिक अन्न उपजाने पर जोर दिया गया। लेकिन हरित क्रांति ने जहां एक ओर देश को खाद्यान्न के मामलें में आत्मनिर्भर बनाया तो वहीं दूसरी ओर खेती में उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध और असंतुलित इस्तेमाल भी शुरू हुआ। लिहाजा कुछ समय बाद ही इसके दुष्परिणाम सामने आने शुरू हो गए। पानी, भूमि और पर्यावरण सहित इंसान और पशुओं पर भी इसके कुप्रभाव देखे गए। इन दुष्प्रभावों को रोकने के लिए आज जैविक खेती एक वरदान साबित हो रही है। यही कारण है कि देश और विदेश के वैज्ञानिक जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने इसी साल मार्च में एक जैविक खेती पोर्टल का शुभारंभ भी किया था। हाल ही में पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम विश्व कृषि के इतिहास में लगभग 75 हजार हेक्टेयर भूमि पर जैविक कृषि को अपनाकर देश और दुनिया का पहला पूर्ण जैविक राज्य बन गया है। 15 अक्टूबर 2018 को संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी खाद्य और कृषि संगठन ने सिक्किम को सर्वश्रेष्ठ नीतियों का आॅस्कर पुरस्कार फ्यूचर पॉलिसी अवार्ड (FPA)  दिया है। यह पुरस्कार कृषि तंत्र और सतत् खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है। सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।

 

गौरतलब है कि इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए विश्व के 51 देशों में से विभिन्न राज्यों को नामांकित किया गया था। इन पुरस्कारों के लिए स्कूल के भोजन और खाद्य पदार्थो की खरीद संबंधी नीति तैयार करने के लिए ब्राजील को, अधिक जैविक खाद्य पदार्थो की खरीद संबंधी नीति बनाने के लिए डेनमार्क को, शहरी बागवानी को बढ़ावा देने के लिए एक्वाडोर की राजधानी क्विटो को तथा जैविक खेती के लिए सिक्किम को चुना गया था।

 

सिक्किम के अनुभव से पता चलता है कि 100 फीसदी जैविक खेती एक सपना नहीं है बल्कि वास्तविकता है। आपको बताते चलें कि 2003 में जैविक राज्य घोषित करने के संकल्प के 15 साल बाद 2016 में सिक्किम को देश का पहला जैविक राज्य बनने का सम्मान हासिल हुआ था। गंगटोक समिट में प्रधानमंत्री द्वारा इसकी बाकायदा औपचारिक घोषणा की गई थी। इससे 66 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ पहुंचा है। इसके अलावा 100 फीसदी जैविक राज्य बन जाने से सिक्किम के पर्यटन क्षेत्र को भी काफी फायदा पहुंचा है। यहां साल 2014 से 2015 के बीच पर्यटकों की संख्या में 50 फीसदी से ज्यादा की वृध्दि देखी गई है। वास्तव में सिक्किम नें भारत के दूसरे कृषि प्रधान राज्यों और दुनिया के तमाम देशों के लिए एक मिसाल पेश की है। संयुक्ति राष्ट्र की एजेंसी ने इसे भूख और गरीबी से लड़ने वाला कदम करार दिया है। उन्होंने इसे पर्यावरणीय गुणवत्ता की गिरावट के खिलाफ राजनीतिक नेताओं की ओर से बनाई गई असाधारण नीतियों का सम्मान बताया है। सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने कहा कि अगर हम सिक्किम में ऐसा कर सकते हैं तो ऐसा कोई कारण नही है कि दुनिया में दूसरी जगहों पर नीति नियंता, किसान और सामुदायिक नेता ऐसा नही कर सकते।

 

सिक्किम ने लंबे समय तक भूमि की उर्वरता बनाए रखने,पर्यावरण और पारिस्थितिकीय तंत्र के संरक्षण, स्वस्थ जीवन और हृदय संबंधी बीमारियों के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए इस लक्ष्य को हासिल करने का संकल्प लिया था। इस ऐलान से पहले सिक्किम के किसान रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे। इस संबंध में पहले कदम के तौर पर कृत्रिम उरवरकों और कीटनाशकों पर प्रतिबंध घोषित किया गया। कृषि में इनके इस्तेमाल पर पूरी रोक का कानून बनाया गया। इस कानून के उल्लंघन पर 1 लाख रुपये तक के जुर्माने और 3 माह तक की कैद या दोनों का प्रावधान था। सरकार ने जैविक राज्य बोर्ड का गठन किया तथा देश विदेश की कई कृषि विकास और शोध से जुड़ी संस्थाओं के साथ साझेदारियां की। इसमें स्विटजरलैंड की जैविक अनुसंधान संस्थान फिबिल भी शामिल है। राज्य ने आर्गेनिक मिशन बनाने के साथ साथ आर्गेनिक फार्म स्कूल बनाए। घर-घर केंचुआ खाद इकाई, पोषण प्रबंधन और ईएम तकनीकि, एकीकृत कीट प्रबंधन तथा मृदा परीक्षण की प्रयोगशालाओं की शुरुआत की। इसके साथ ही अम्लीय भूमि उपचार, जैविक पैकिंग से लेकर प्रमाणीकरण तक की सभी चीजों की उपलब्धता और इनकी जागरुकता संबंधी कार्यक्रम चलाए गए। अब सिक्किम दुनिया का पहला जैविक राज्य है। यह सिक्किम के साथ-साथ भारत के लिए भी गर्व की बात है।   

 

सिक्किम में मुख्य रूप से बड़ी इलायची, हल्दी, अदरक, ऑफ-सीजन सब्जियां, फूल, सिक्किम नारंगी, किवी फल, कूटू, धान, मक्का और जौ का उत्पादन होता है। चूंकि सिक्किम के किसान कभी भी रसायनों पर अधिक निर्भर नहीं रहे इसलिए जैविक खेती अपनाने से उपज में कोई कमी नहीं आई। वैसे भी यहाँ रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों का उपयोग प्रति हैक्टेयर 8-12 किलो ही था।

 

ज्ञात हो कि जैविक उत्पादों की विश्वभर में भारी मांग है। बाजार में इन्हें अच्छी कीमत मिलती है। स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों में इन उत्पादों को काफी पसंद किया जाता है। सिक्किम में लगभग 80 हजार टन कृषि उत्पादों का उत्पादन होता है, जबकि देश में कुल जैविक कृषि उत्पादन 12.40 लाख टन है। आज देश में करीब 35 लाख हैक्टेयर जमीन में जैविक खेती हो रही है। आज भारत, दुनिया में जैविक खेती के क्षेत्र में एक नई ताकत बनकर उभर रहा है।

 

दरअसल जैविक खेती में रासायनिक कीटनाशकों व उवर्रकों का इस्तेमाल करने के बजाय परंपरागत तरीके अपनाकर पर्यावरण के साथ तालमेल बनाया जाता है। जैविक खेती से जैव-विविधता को संरक्षण व पर्यावरण रक्षा में दीर्घकाल में मदद मिलती है और साथ ही फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है। जैविक खेती से पर्यावरण संरक्षण होने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है। इससे न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ती है बल्कि सूखे की समस्या से भी निजात मिल जाती है। इससे मित्र कीट भी संरक्षित रहते हैं। घटते हुए भू-जलस्तर के लिए जैविक खेती एक वरदान है। इतना ही नही जैविक खेती अपनाकर कृषि में आने वाली लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

 

भारत परंपरागत रूप से विश्व का सबसे बड़ा जैविक खेती करने वाला देश है। यहां के प्राकृतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक घटनाक्रम जैविक खेती के अनुकूल हैं। जन जागरूकता, सही नीतियों के निर्माण और उनके उचित अनुपालन से जैविक कृषि के क्षेत्र में भारत काफी अग्रसर हो सकता है तथा विकसित देशों की मांगो को पूरा करके काफी लाभ भी कमा सकता है।

 

इसके अलावा इससे राज्य में पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। राज्य में ऐसे रिसॉर्ट्स बनाए गए हैं, जहां पर्यटक उनके किचन गार्डन से ताजा जैविक साग-सब्जियां आदि तोड़कर, पकाकर ताजा खाना खा सकते हैं।