भारत - रूस संबंधों की यात्रा, भाग - 3 (A Journey of India - Russia Relationship, Part - 3)

Posted on October 13th, 2018 | Create PDF File

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भारत - रूस संबंधों की यात्रा

 

भाग - 3

 

हाल ही में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रूस का दौरा किया था, जिसमें 2025 तक भारत और रूस के बीच व्यापार को बढ़ाकर 50 अरब अमेरिकी डालर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया था। भारत मोटे तौर पर रूस को दवा, लोहा, स्टील, कपड़े, चाय, कॉफी और तंबाकू निर्यात करता है जबकि रूस भारत को रक्षा सामग्री, नाभिकीय ऊर्जा की सामग्री, इलेक्ट्राॅनिक्स मशीन, स्टील और हीरे का निर्यात करता है। भारत के औद्योगिकीकरण में रूस ने बहुत योगदान दिया है। रूस की तकनीकी और आर्थिक मदद ने भारत के विकास में बड़ी भूमिका निभाई है। बोकारो, भिलाई और विशाखापत्तनम स्थित कारखाने, भाखड़ा नागल पनबिजली बांध, दुर्गापुर संयंत्र, नेवेली में थर्मल पावर स्टेशन, कोबरा में विद्युत उपक्रम,  ऋषिकेश में एंटीबायोटिक्स प्लांट और हैदराबाद फार्मास्यूटिकल प्लांट की स्थापना में भारत की मदद की। मुंबई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, देहरादून और अहमदाबाद में रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम इंडस्ट्री की स्थापना में भी रूस ने सहायता की। रूस परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग में भारत का महत्त्वपूर्ण भागीदार है। रूस भारत को एक त्रुटिरहित परमाणु अप्रसार के रिकार्ड के साथ उन्नत परमाणु ऊर्जा की प्रौद्योगिकी वाला देश मानता है। भारत के कोडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र समेत अन्य संयंत्र के निर्माण में रूस ने बड़ी भूमिका निभाई है। दोनों देशों के बीच दिसम्बर 2014 में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए सामरिक विजन पर हस्ताक्षर भी किए हैं। इसी करार के तहत भारत बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए रूस के साथ मिलकर काम कर रहा है। 2017 में दोनों देशों ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों 5 और 6 को लगाने के लिए करार किया था।

 

अंतरिक्ष विज्ञान में भी रूस ने भारत की लगातार मदद की है। भारत- रूस के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के 4 दशक से भी ज्यादा हो गए हैं। 2015 में भारत के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट की लांचिंग को 40 साल पूरे हुए थे, इस सैटेलाइट का लांच व्हीकल रूस का सोयूस ही था। 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा रूस के सोयूस-टी-11 स्पेशल शटल से अंतरिक्ष गए। इसके साथ ही वे अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय बने। 2007 में दोनों देशों ने अंतरिक्ष सहयोग बढ़ाने के लिए करार पर हस्ताक्षर किए थे।अंतरिक्ष में भारत के पहले मिशन लांच करने से लेकर चंद्रयान मिशन तक रूस ने हमेशा ही भारत का सहयोग किया है।

 

सांस्कृतिक सहयोग वह पक्ष है जिससे भारत रूस संबंधों को और मजबूती मिली है। रूस में 30000 से ज्यादा भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं। रूस में 500 से ज्यादा भारतीय कारोबारी रहते हैं। पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान—प्रदान भी काफी तेज हुआ है। बाॅलीवुड फिल्में रूस में पहले से लोकप्रिय रही हैं लेकिन बीते दशक से इसमें और तेजी दर्ज हुई है।

 

गौरतलब है कि 19वीं शताब्दी के बाद भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलनों ने दोनों देशो के बीच रणनीतिक साझेदारी को एक नई दिशा दी है।इससे पहले इसी महीने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भारत-रूस इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन ऑन टेक्निकल इकोनोमिक को-ऑपरेशन (आईआरआईजीसी-टेक) की 23वीं बैठक में हिस्सा लेने के लिए रूस के दौरे पर गई थीं, जिसमें पुतिन के आगामी दौरे की तैयारी की दिशा में कार्य किया गया। बैठक के दौरान भारत और रूस ने 2025 तक 50 अरब डॉलर का दोतरफा निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। भारत और रूस के बीच पिछले साल द्विपक्षीय सालाना शिखर वार्ता एक जून 2017 को मोदी के रूस दौरे के दौरान हुई थी। 

 

इस प्रकार पिछले सात दशकों से भारत और रूस के मध्य दोस्ताना व सहयोगात्मक संबंध रहे हैं। 19वाँ वार्षिक ‘भारत-रूस सम्मेलन’ पहले की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण रहा। इस सम्मलेन के बाद एक उम्मीद की जा सकती है कि दोनों देश तेज़ी से विकसित हो रहे विश्व भू-राजनीतिक परिदृश्य में यथार्थवादी आधार पर मिलकर कार्य करेंगे। रूस की विदेश नीति का मूल्यांकन करने पर पता चलता है कि रूस और चीन के मध्य सामरिक निकटता बढ़ रही है। अत: भारत को इस वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए रूस के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाना चाहिये। साथ ही भारत अमेरिका सहित तमाम अन्य देशों के साथ अपनी आपसी सहमतियों को भी खतरे में डालने का जोखिम नहीं ले सकता अतः भारत को एक नपी-तुली और सधी हुई अंतर्राष्ट्रीय नीति तैयार करनी होगी जो बेहतर तालमेल के साथ देश के दीर्घकालीन हितों के लिए कार्य कर सके।